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राष्टवाद

विरासत .....
विरासत .....
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दंन्गो में – दुबिधावो में
देश-प्रदेश की सीमओं में
जीवन के कुछ नातो में
अपनी – परायी बातो में
जाति-धर्म के नारों में
मंडल-कमंडल के उपकारो में
कहीं छुटा एक संघर्ष हमारा
“शेखर” भारत वर्ष हमारा
अपनी कुछ लाचारी से
उनकी कुछ बेकारी से
सत्ता के गलियारों में
कुछ चुनावी नारों में
राष्ट हित का भाव शून्य
गठबंधन की सरकारों में
भूले हम लक्ष्य हमारा
“शेखर” राष्ट्धर्म हमारा
फिर भी राष्टवाद की अलख अमर
बुझ नहीं सकती ये आग प्रखर
भगत – आजाद के नारों से
शस्त्र-शास्त्र के उपकारो से
राष्टहित के प्रण से
नव युवको के प्रयासों से
फिर उठेगा एक संघर्ष हमारा
“शेखर” भारत वर्ष हमारा

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